UNKE DUSHMAN HAI BAHUT AADMI AACHA HOGA
अब भी एक उम्र पे जीने का न अंदाज आया । ज़िंदगी छोड दे पीछा मेरा, मै बाज़ आया ।।
Sunday, March 06, 2011
दो दिवाने शहरमे , आबुदाना ढुंडते, आशियाना ढुंडते
आणि जे हे सारे विश्व बांधतात त्यांचा आशियाना मात्र
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