UNKE DUSHMAN HAI BAHUT AADMI AACHA HOGA
अब भी एक उम्र पे जीने का न अंदाज आया । ज़िंदगी छोड दे पीछा मेरा, मै बाज़ आया ।।
Saturday, April 24, 2010
पांजरपोळ - माधवबाग
हे असे सारे खाऊन जर गाई धष्ट्पुष्ट न झाल्यातरच नवल
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