UNKE DUSHMAN HAI BAHUT AADMI AACHA HOGA
अब भी एक उम्र पे जीने का न अंदाज आया । ज़िंदगी छोड दे पीछा मेरा, मै बाज़ आया ।।
Wednesday, April 14, 2010
गध्देपंचविशी तर पन्नासी काय ?
पंचविशी, पन्नासी, पंचाहत्तरावी, हे असे आयुष्यातले टप्पे जवळ येवु लागतात तेव्हा काय वेगळे जाणवयला लागते का ?
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