Sunday, April 11, 2010

सुकूते शामने चुपके से तेरा नाम लिया


मेरे नसीबने जब मुझसे इन्तेक़ाम लिया
कहां कहां तेरी यादोंने हाथ थाम लिया

फ़िज़ा की आंख भर आई हवा का रंग उड़ा
सुकूते शामने चुपके से तेरा नाम लिया

हर एक ख़ुशीने तेरे ग़मकी आबरु रख ली
हर एक ख़ुशीसे तेरे ग़मने इन्तेअकाम लिया

- "शाज़ तम्कनत "

1 comment:

Unknown said...

atishay sundar...........