अब भी एक उम्र पे जीने का न अंदाज आया । ज़िंदगी छोड दे पीछा मेरा, मै बाज़ आया ।।
manasokt hasalo pahun.. mast. -Raman Oza
श्री. रमण ओझाजी,धन्यवाद.
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2 comments:
manasokt hasalo pahun.. mast.
-Raman Oza
श्री. रमण ओझाजी,
धन्यवाद.
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