UNKE DUSHMAN HAI BAHUT AADMI AACHA HOGA
अब भी एक उम्र पे जीने का न अंदाज आया । ज़िंदगी छोड दे पीछा मेरा, मै बाज़ आया ।।
Tuesday, December 09, 2008
कत्तल की रात
कालची रात्र, आजका दिवस.
धर्माच्या नावाखाली किती बकरे कापले जाणार आहेत हे केवळ अल्ला जाणे.
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