UNKE DUSHMAN HAI BAHUT AADMI AACHA HOGA
अब भी एक उम्र पे जीने का न अंदाज आया । ज़िंदगी छोड दे पीछा मेरा, मै बाज़ आया ।।
Saturday, May 24, 2008
दुर है म़झील राहे मुश्कील
दुर है म़झील राहे मुश्कील आलम है तनहाई का
आज मुझे अहसास हुवा है अपनी शिकस्ता-पा-ई का
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