अब भी एक उम्र पे जीने का न अंदाज आया । ज़िंदगी छोड दे पीछा मेरा, मै बाज़ आया ।।
असंच केव्हातरी माटुंगाच्या "रामा नायक " मधे जेवायला
Post a Comment
No comments:
Post a Comment