Thursday, January 22, 2009

राहगुजर, इंतजारी, बेकरारी, दरबदर,हमसफर,

फ़िर उसी राहगुजर पर शायद
हम कभी मिल सके मगर शायद

जान पहचान से क्या होगा
फ़िर भी ऎ दोस्त गौर कर शायद

मुंतजिर जिनके हम रहे उनको
मिल गये और हमसफ़र शायद

जो भी बिछडे हॆ कब मिले हॆ फ़राज
फ़िर भी तू इंतिजार कर शायद

अहमद फ़राज

http://feelingsandviewpoint.blogspot.com/ यांच्या कडुन.

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