UNKE DUSHMAN HAI BAHUT AADMI AACHA HOGA
अब भी एक उम्र पे जीने का न अंदाज आया । ज़िंदगी छोड दे पीछा मेरा, मै बाज़ आया ।।
Thursday, January 15, 2009
नया खेल सुरु करे ? शेर आणि गजलोंका ?
माझ्या आधीच्या पोष्ट वर मी हे लिहीले होते
"दर्दे मिन्नत- कशे- दवा न हुआ
मै न अच्छा हुआ बुरा न हुआ
जमा करते हो क्यो रकी़बों का ?
इक तमाशा हुआ गिला न हुआ
कितने शीरी है तेरे लब !
कि रकी़ब
गा़लिया खाके बे-मजा न हुआ "
तर त्याला
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