Saturday, January 17, 2009

ख़फ़ा

वो हमसे ख़फा है, हम उनसे ख़फा़ है 
मगर बात करने को जी चाहता है 

गुनाहे- मुर्करर "शकील" अल्ला-अल्ला
बिगड़ कर संवरने को जी चाहता है

नवीन शब्द ’  ख़फ़ा "

ख़फ़ा हा शब्द घेवुन आपल्याला "ख़फ़ा" शब्द असलेला गजल सांगायचा आहे

2 comments:

Ugich Konitari said...

सूरज चाँद से ख़फा है , गम में पूरे डूबे है तारे ......
सब को इकठ्ठा करके ,, मेरा दिल पुकारे, आ रे , आरे आरे

HAREKRISHNAJI said...

क्या बात है. अब मजा आना सुरु हुआ है