यांनी लिहीलेल्या मधुन मी "दिल , सुबह,रात" हे तीन शब्द घेवुन ते असलेला गजल लिहित आहे
"शामे फ़िराक़ अब न पूछ आई और आके टल गई
दिल था कि फिर बहेल गया, जॉंथी कि फिर संभल गई
बज़्मे ख़याल मे तेरे हुस्न की शम्मा जल गई
दर्द का चॉंद बुझ गया, हिज्र की रात ढल गई
जब तुझे याद कर लिया , सुबह महेक महेक उठी
जब तेरा ग़म जगा लिया रात मचल मचल गई
दिल से तो हर मुआमला करके चले थे साफ़ हम
कहने मे उन के सामने बात बदल गई
आख़िरे शब के हमसफ़्रर "फ़ैज़" न जाने क्या हुए
रह गई किस जगह सबा, सुब्हा किधर निकल गई "
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रात्रीवर - ugich konitari यांच्या कडुन
"रात दिखाती है मछछर, मै देखता हुं सुबह की राह ...
बेगोन का फवारा बरसा , दिल चीखा वाह वाह...... "
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रात्रीवर -
Ruminations and Musings -http://feelingsandviewpoint.blogspot.com/ यांच्या कडुन
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"रात भी नींद भी कहानी भी
हाय क्या चीज हॆ जवानी भी "
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रात वर - माझ्या कडुन
कोई उम्मीद बर नज़र नही आती
कोई सूरत नज़र नही आती
मौत का एक दिन मुअय्य़न है
नींद क्यो रात भर नही आती
आगे आती थी हाले-दिल पे हंसी
अब किसी बात पर नही आती
काबा किस मूंह से जाओगे "गालीब"
शर्म तुमको मगर नही आती
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