Friday, January 16, 2009

"महफ़िल", "रात" , और "रोशनी"

अभी तो "रात" ज़वा है , क्या आप "महफ़िलसे" इतनी जल्दी "रोशनी" बुझाना चाहते है ?

तो फिर अब देरी किस "वजह" ?

1 comment:

Ruminations and Musings said...

रात भी नींद भी कहानी भी
हाय क्या चीज हॆ जवानीभी