UNKE DUSHMAN HAI BAHUT AADMI AACHA HOGA
अब भी एक उम्र पे जीने का न अंदाज आया । ज़िंदगी छोड दे पीछा मेरा, मै बाज़ आया ।।
Wednesday, March 31, 2010
चिंतामणी पाश्वनाथ जीनालय - विलेपार्ले
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