अब भी एक उम्र पे जीने का न अंदाज आया । ज़िंदगी छोड दे पीछा मेरा, मै बाज़ आया ।।
आज माटुग्यांच्या "रामआश्रय" मधे जावुन पोंगल अवियल खाल्ला
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