UNKE DUSHMAN HAI BAHUT AADMI AACHA HOGA
अब भी एक उम्र पे जीने का न अंदाज आया । ज़िंदगी छोड दे पीछा मेरा, मै बाज़ आया ।।
Sunday, September 20, 2009
आधुनीक रामायण
या युगात आपल्याला सिंहासन नव्हे तिकीट मिळावे म्हणुन भरतालाच वनवासात पाठवले गेले।
पण काय हो राजाभाऊ पुढे काय ?
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