अब भी एक उम्र पे जीने का न अंदाज आया । ज़िंदगी छोड दे पीछा मेरा, मै बाज़ आया ।।
मनुश्य को पेट की खातिर कब तक ये तमाशे करने होंगे ? पैनी नज़र के साथ आपने ये सवाल उठाया है।
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मनुश्य को पेट की खातिर कब तक ये तमाशे करने होंगे ? पैनी नज़र के साथ आपने ये सवाल उठाया है।
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