Saturday, October 13, 2007

नंदी बैल - विस्म्रुतीत जात चाललेला






1 comment:

अजित वडनेरकर said...

मनुश्य को पेट की खातिर कब तक ये तमाशे करने होंगे ? पैनी नज़र के साथ आपने ये सवाल उठाया है।