UNKE DUSHMAN HAI BAHUT AADMI AACHA HOGA
अब भी एक उम्र पे जीने का न अंदाज आया । ज़िंदगी छोड दे पीछा मेरा, मै बाज़ आया ।।
Saturday, April 19, 2014
कितनी बार
"कितनी बार तुम्हे बोलु, तुम वही गलतीयां कर रहे हो बार बार "
"माफी चाहता हूं सर, नही होगी ऐसी गलती अगली बार "
वरिष्ठ आणि कनिष्ठांत असा संवाद घडु लागला की समजावे दोघांना ज्वर चढलाय.
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