UNKE DUSHMAN HAI BAHUT AADMI AACHA HOGA
अब भी एक उम्र पे जीने का न अंदाज आया । ज़िंदगी छोड दे पीछा मेरा, मै बाज़ आया ।।
Sunday, December 16, 2007
स्म्रिती मिश्रा व अमरसिंन्घा धनुजा
आकाशातुन धरतीचा वेध घेणाऱ्या, कोसळणाऱ्या विद्युलतेने ही लाजावे.
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