UNKE DUSHMAN HAI BAHUT AADMI AACHA HOGA
अब भी एक उम्र पे जीने का न अंदाज आया । ज़िंदगी छोड दे पीछा मेरा, मै बाज़ आया ।।
Monday, October 19, 2009
किल्ले पहावे बांधुन - अभिरुची, भिडे बागेत
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