UNKE DUSHMAN HAI BAHUT AADMI AACHA HOGA
अब भी एक उम्र पे जीने का न अंदाज आया । ज़िंदगी छोड दे पीछा मेरा, मै बाज़ आया ।।
Tuesday, October 13, 2009
माझी
दृष्टी
माझी
सृष्टी
-
प्रा
राम
शेवाळकर
उस्मानाबादची
साखर
आणि
जगाची
बाजारपेठ
-
निळु
दामले
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