UNKE DUSHMAN HAI BAHUT AADMI AACHA HOGA
अब भी एक उम्र पे जीने का न अंदाज आया । ज़िंदगी छोड दे पीछा मेरा, मै बाज़ आया ।।
Saturday, June 27, 2009
आणि आषाढाच्या तिसऱ्या रात्री
कहु किससे मै क्या है शबे-गम बुरी बला है
मुझे क्या बुरा था मरना अगर एक बार होता
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment