UNKE DUSHMAN HAI BAHUT AADMI AACHA HOGA
अब भी एक उम्र पे जीने का न अंदाज आया । ज़िंदगी छोड दे पीछा मेरा, मै बाज़ आया ।।
Monday, May 25, 2009
स्वदेश
या पोराचा जीव तो केवढा आणि त्याचा बोझा तरी किती !
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